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Bajrang Dal protest: भारत-बांग्लादेश मैच को रद्द करने की मांग

Bajrang Dal protest: भारत और बांग्लादेश के बीच होने वाले T20 मैच से पहले बजरंग दल ने इस मैच के खिलाफ विरोध जताया है। बजरंग दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीरज दाउनेरिया ने ग्वालियर पहुंचकर इस मैच का कड़ा विरोध किया और कहा कि इसे रद्द किया जाना चाहिए। उन्होंने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) पर आरोप लगाया कि वह गलत समय पर यह मैच आयोजित कर रहा है।

बजरंग दल का कड़ा विरोध

नीरज दाउनेरिया ने कहा, “इस समय जिस तरह से हिंदुओं पर बांग्लादेश में अत्याचार हो रहे हैं, वह बेहद चिंता का विषय है। हमारी कई बहनों के साथ दुष्कर्म किया गया है। हिंदुओं को पेड़ों और खंभों से बांधकर फांसी दी गई है। हमें इतिहास के पन्नों में ऐसी क्रूरता का सामना नहीं करना पड़ा है, जैसी बांग्लादेश में हिंदुओं के साथ हुई है। ऐसे समय में BCCI द्वारा बांग्लादेश के साथ मैच का आयोजन करना करोड़ों हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाता है।”

प्रदर्शनों की लहर

दाउनेरिया ने आगे कहा, “इस समय लोग विभिन्न तरीकों से विरोध जता रहे हैं, चाहे वह टीवी चैनलों पर हो या सोशल मीडिया पर। हाल ही में कानपुर में आयोजित एक मैच में भी जबरदस्त विरोध देखा गया। लोग मैच देखने नहीं गए, और कई लोगों ने मैच का बहिष्कार किया। BCCI को इस मैच को रद्द करना चाहिए। मैं ग्वालियर में बजरंग दल का कार्यकर्ता होते हुए भी यही अपील करता हूं कि इस मैच का बहिष्कार करें और BCCI से इसे रद्द करने की मांग करें। बजरंग दल भी इसे रोकने की कोशिश करेगा।”

मैच का कार्यक्रम पहले ही तय हुआ था

भारत की क्रिकेट टीम का कार्यक्रम काफी पहले से तय किया जाता है। बांग्लादेश के साथ श्रृंखला का समय 2022 में टीम इंडिया की FTP के प्रकाशन के साथ तय किया गया था। इस श्रृंखला पर अंतिम मुहर 20 जून को लगी, जब बांग्लादेश के भारत दौरे की घोषणा की गई थी, जिसमें दो टेस्ट और तीन T20 मैच शामिल हैं। हालांकि, अगस्त में बांग्लादेश में स्थिति बिगड़ गई और हिंसा हुई, जिसके चलते अब इस मैच को रद्द करने की मांग उठाई जा रही है।

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Bajrang Dal protest: भारत-बांग्लादेश मैच को रद्द करने की मांग

BCCI की स्थिति

हालांकि, BCCI ने मैच के कार्यक्रम का निर्धारण किया था, लेकिन उसके पास इसे रद्द करने का अधिकार था। लेकिन अगर मैच रद्द होता है, तो इसमें भारी नुकसान होता है। इस स्थिति में मेज़बान बोर्ड को नुकसान की भरपाई करनी पड़ती है। यही कारण है कि सभी बोर्ड किसी भी स्थिति में मैच को रद्द करने के लिए तैयार नहीं हैं।

सामाजिक और राजनीतिक पहलू

बांग्लादेश में हिंदुओं पर बढ़ते अत्याचारों के संदर्भ में, इस मामले में न केवल खेल के प्रेमियों बल्कि राजनीतिक पार्टियों और सामाजिक संगठनों का भी ध्यान केंद्रित हो गया है। हिंदू संगठनों का मानना है कि खेलों को राजनीति से अलग नहीं किया जा सकता, और ऐसे समय में जब बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ अत्याचार हो रहे हैं, उस समय भारत-बांग्लादेश मैच का आयोजन उचित नहीं है।

बांग्लादेश में हालात

बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हो रहे अत्याचारों की घटनाएं चिंताजनक हैं। हिंदू समुदाय के खिलाफ भेदभाव और हिंसा की कई घटनाएं सामने आई हैं, जो यह दर्शाती हैं कि वहां की सामाजिक स्थिति कितनी गंभीर है। ऐसे में भारत में हिंदू संगठनों का यह मानना है कि खेल के मैदान में एकजुटता और सहयोग का संदेश दिया जाना चाहिए, न कि ऐसे देशों के साथ प्रतिस्पर्धा करना चाहिए जहां धार्मिक असहिष्णुता का सामना किया जा रहा हो।

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भविष्य की संभावनाएं

इस विवाद के चलते भारत-बांग्लादेश मैच के आयोजन पर सवाल उठने लगे हैं। यदि बजरंग दल और अन्य संगठनों के विरोध को ध्यान में नहीं लिया गया, तो भविष्य में ऐसे और भी विरोध प्रदर्शन देखने को मिल सकते हैं। इस स्थिति में BCCI को यह सोचना होगा कि वह अपने खेल कार्यक्रम को किस तरह से संतुलित कर सकता है, ताकि धार्मिक और सांस्कृतिक संवेदनाओं का सम्मान किया जा सके।

खेल की दुनिया में धर्म और राजनीति का प्रभाव

आज के समय में, खेल केवल एक मनोरंजन का साधन नहीं रह गया है, बल्कि यह समाज की सामाजिक, राजनीतिक और धार्मिक स्थितियों का प्रतिबिंब भी बन गया है। खेल के मैदान पर राजनीतिक और धार्मिक विचारों का प्रभाव भी स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। यह न केवल खिलाड़ियों पर, बल्कि दर्शकों और प्रशंसकों पर भी असर डालता है।

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